व्यापम घोटाला: भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय
व्यापम घोटाला, जिसे मध्य प्रदेश परीक्षा और भर्ती घोटाला भी कहा जाता है, भारतीय राज्य मध्य प्रदेश से जुड़ा हुआ एक बड़ा घोटाला है, जो 2013 में सामने आया। इस घोटाले के पीछे कई राजनीतिक नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यवसायियों का हाथ था। इस घोटाले ने देश को हिला कर रख दिया, क्योंकि इसमें परीक्षा, भर्ती, और नियुक्तियों के विभिन्न पहलुओं में भारी धांधलियों का खुलासा हुआ था।
व्यापम घोटाले की जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। घोटाले का पर्दाफाश करने की कोशिश के दौरान मंत्रालय की बिल्डिंग में आग लगने और फर्जी भर्ती फाइलों की चोरी होने जैसी घटनाएँ घटीं। ये घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि घोटाले में शामिल लोगों का प्रभाव इतना गहरा था कि वे जांच में रुकावट डालने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।
इस घोटाले में मुख्य रूप से दो प्रकार की धांधलियाँ सामने आईं। एक तो यह था कि कई उम्मीदवारों ने परीक्षा में धोखाधड़ी के जरिए किसी और को अपनी जगह बैठने दिया था, जबकि दूसरी प्रमुख धांधली में नकल करने की व्यवस्था थी। इसके अलावा, अन्य तरह की अनियमितताएँ भी सामने आईं, जैसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए भर्ती की जा रही थी। इसके परिणामस्वरूप हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें उम्मीदवार, रैकेटियर, बिचौलिए और अधिकारी शामिल थे।
घोटाले के सामने आने के बाद एक और चौंकाने वाली बात सामने आई, वह थी घोटाले से जुड़े लोगों की संदिग्ध और असामयिक मौतें। 2013 में घोटाले का खुलासा होने से पहले ही, कई व्यक्तियों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इनमें सड़क दुर्घटनाएँ, दिल का दौरा और आत्महत्याएँ शामिल थीं। इन घटनाओं ने इस घोटाले को और भी संदिग्ध बना दिया, क्योंकि यह प्रतीत होता था कि घोटाले से जुड़े लोग अपनी जान बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।
भारत की केंद्रीय जांच एजेंसी, सीबीआई ने इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच शुरू की। 9 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ली। इसके बाद नवंबर 2017 में आरोप पत्र दाखिल किया गया, जिसमें 490 लोगों के नाम थे। इसमें व्यापमं के तीन अधिकारी, रैकेटियर, बिचौलिए और कई अन्य लोग शामिल थे। हालांकि, इस जांच में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को क्लीन चिट दी गई, जिससे राजनीति में घोटाले को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ।
2013 के प्री-मेडिकल टेस्ट से संबंधित इस मामले में सीबीआई ने भोपाल की विशेष अदालत में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इस चार्जशीट में व्यापमं के अधिकारियों और कई अन्य दोषियों का नाम शामिल था। इस मामले में भोपाल की विशेष सीबीआई अदालत ने 7 लोगों को दोषी ठहराया और उन्हें कठोर कारावास की सजा सुनाई। इन दोषियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत सजा दी गई, जिसमें धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज़ बनाना और आपराधिक साजिश जैसे आरोप थे।
व्यापम घोटाला न केवल एक बड़ी परीक्षा और भर्ती धांधली का प्रतीक बन गया, बल्कि इसने भारतीय राजनीति और प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को भी उजागर किया। इस घोटाले ने यह साबित कर दिया कि किसी भी प्रणाली में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो सकती हैं, और इनका पर्दाफाश करना कितना कठिन हो सकता है।
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